ब्लॉग के मुकाबले फेसबुक कुछ अधिक सक्रिय रहता हूं वहीं का मेरा लिखा एक स्टेटस ब्लॉग पर भी लिख दे रहा हूं ....बोले तो "भविष्य की इतिहास पुस्तिका......" :)
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हाल ही में ऐसे अभिलेखिय साक्ष्य मिले हैं जिनसे पता चलता है कि प्राच्यकाल में भाजपा नामक राजनीतिक दल में मोदी प्रथम के प्रभावशाली ढंग से उभरने पर दूसरे दल के तत्कालीन राजनेता कुमार नीतीश ने अपना गठबंधन तोड़ दिया था जिसके बदले में कुमार नीतीश पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए मोदी द्वितीय ने बिहार बंद का आव्हान किया था।
वहीं इतिहासकारों का मानना है कि मोदी द्वितीय और मोदी प्रथम दोनों से पीछा छुड़ाना तत्कालीन राजनेता कुमार नीतीश की मजबूरी थी जिसके चलते ऐसा कदम उठाया गया था। इसकी पुष्टि विश्वासघात का तोहमत लगने पर नीतीश द्वारा किया गया जवाबी हमला है जिसमें कहा गया है कि भाजपा के लोग खुद ही अपने बुजुर्गों के साथ विश्वासघात करते हैं।
वहीं इस राजनीतिक कलह पर पीएचडी करने वाले छात्रों का मानना है कि गठबंधन टूटा जरूर लेकिन इसके टूटने की कई दिनों से इंतजार वाली खबरों से लोग उबने लगे थे, पकने लगे थे और कई लोग तो लाठी लेकर तैयार हो गये थे कि श्वान प्रजाति की तरह जुड़ी इस "विशिष्ट फंसा-फंसी" को छुड़ाकर दोनों को मुक्त कर दिया जाय. आशंका थी कि गठबंधन पर लाठी पड़ते ही एक उधर को कूं कूं कर यूपीए की ओर भागता दूजा उधर तीसरा मोर्चा की ओर किंतु ऐसा हो न सका और जब तक लोग लाठी लेकर मारते, गठबंधन स्वंय ही टूट गया।
( ईसवी सन् 6015 की इतिहास की उत्तर पुस्तिका के अंश )
4 comments:
खबर तो यह भी है कि गठबंधन तोड़ने के लिये दोनों पक्षों ने जमकर मुशायरे बाजी की।
http://hindini.com/fursatiya/archives/4392
जैसे कि बादल फटने से सब बह जाता है।
खबर है कि शोधार्थियों द्वारा आज इस भित्तिलेख का षोडशोपचार पूजन किया गया !!!
आपके ब्लॉग पर देर से आने के लिए क्षमा
ब्लॉग हो या फेसबुक आपको पढना हमेशा आनंद का विषय होता है
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